त्वचा की सही देखभाल कैसे करें ?

             त्वचा की सही देखभाल कैसे करें ?

          

त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है।  यह हमारे शरीर का रोगों और संक्रमण से बचाव तो करती ही है साथ ही साथ इसके तापमान को भी नियंत्रित करती है तथा  विटामिनस  खासकर विटामिन ‘डी’ के उत्पादन में भी सहायक होती  है।  त्वचा को स्वस्थ रखना, सुंदरता और सामान्य स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, भले ही हम में से अधिकांश केवल यह जानने में ही रुचि रखते हैं   कि त्वचा को कैसे स्वस्थ रखा जाये परन्तु जब इसके लिए किये जाने वाले उपायों को वास्तव में अपनाने की बात है  तो ऐसा करने वालों को हाथ की उँगलियों पर गिना जा सकता है। 

त्वचा को युवा, गोरा, चमकदार, कोमल, मुलायम और झुर्रियों से मुक्त तथा पूर्ण स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीका है - - धूप से दूर रहना।

           

 सूरज की पराबैंगनी (यूवी) किरणें त्वचा को एक स्वस्थ दिखने वाली रंगत तो प्रदान करती हैं, लेकिन दाग-धब्बे, सनबर्न देने के साथ-साथ इसके लचीलेपन को भी भारी नुकसान पहुंचाती हैं।  इसके परिणाम स्वरुप पैदा होने वाली झुर्रियाँ, महीन रेखाएँ, ढीली त्वचा, त्वचा का कालापन, असमान त्वचा टोन (दाग-धब्बे), अर्धपारदर्शिता  की कमी, बढ़े हुए रोम छिद्र और सूखेपन के कारण व्यक्ति समय से पहले ही बूढ़ा नजर आने लगता  है।  यहां तक ​​​​कि चाहे इंसान अनुवांशिक रूप से कितना भी उत्तम क्यों न हो , अपनी त्वचा की चाहे कितनी भी और किसी भी तरह की अच्छी देखभाल और सांभ-संभाल क्यों न करता हो, कैसा भी संतुलित भोजन क्यों न ग्रहण करता हो वह सब धरा का धरा रह जाएगा यदि वह त्वचा को सांवली सलोनी बनाने की धुन में  धूप का अनियंत्रित उपयोग करता होगा ।

           

    धूप से बचाव रखना, स्वस्थ त्वचा बनाये रखने में मददगार सिद्ध होता है, लेकिन अगर  इससे बचने का कोई चारा न हो तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप सही सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।  यह तब और भी महत्वपूर्ण और अनिवार्य हो जाता है जब हमें धूप में लम्बे समय तक रहने के लिए मजबूर होना पड़े।  

           

 यह मानते हुए कि कोई पहले से ही तेज धूप के नकारात्मक प्रभावों से पूर्ण रूप से परिचित है , तो भी हमें  अपनी त्वचा की स्थिति में सकारात्मक सुधार लाने के लिए कुछ जरूरी उपाय करने पड़ेंगे जो कि दोनों तरह से, मतलब खानपान के रूप में और त्वचा पर बाहरी रूप से इस्तेमाल करने होंगे ताकि हमारी त्वचा को और अधिक स्वस्थ, जवान, लुभावनी और खूबसूरत बनाया जा सके। तो चलिए बारी-बारी से यह जानने का प्रयत्न करें कि हमारी त्वचा की उचित देखभाल के लिए वह दोनों प्रकार से इस्तेमाल किये जाने वाले त्वचा पोषक और त्वचा रक्षक पदार्थ कौन से हैं -

    भोजन के पूरक के रूप में इस्तेमाल होने वाले तत्व 

त्वचा को खूबसूरत बनाने या इसकी सुंदरता को बरकरार रखने के लिए  खुराक, भोजन या आहार अथवा खानपान के रूप में जो सबसे पहले ध्यान में रखा जाना चाहिए वह है समस्त विटामिन और खनिजो का सही मिश्रण जो केवल त्वचा ही नहीं परन्तु शरीर के समस्त अंगो के समुचित क्रिया-क्लापों में सहायक सिद्ध होगा,

विटामिन और खनिज जो त्वचा के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, उनमें बी-कॉम्प्लेक्स, विशेष रूप से बी 1 (थायमिन), बी 2 (राइबोफ्लेविन) और बी 12 (सायनकोबालामाइन) शामिल हैं।  विटामिन बी1 और बी2 की स्पष्ट कमी को विशेष प्रकार के डर्मेटाइटिस (एक प्रकार की त्वचा की सूजन) का कारण माना जाता है।  बी 12 की कमी विशेष रूप से न्यूरॉन्स और त्वचा कोशिकाओं के अतिरिक्त हमारे शरीर की अन्य तेजी से विभाजित होने वाली कोशिकाओं के लिए भी हानिकारक है।

 विटामिन बी के अलावा, विटामिन सी, आयरन और कॉपर की कमी भी त्वचा के स्वास्थ्य और खूबसूरती को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।  यह तीनों पदार्थ कोलेजन के संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो त्वचा में एक प्रमुख संरचनात्मक प्रोटीन के रूप में विद्यमान रहता है, कोलेजन त्वचा को हर तरह से फलीभूत रखने के अतिरिक्त इसे खूबसूरत रंगत भी प्रदान करता है

           

 त्वचा कोशिकाओं के सामान्य और स्वस्थ जीवन चक्र के लिए विटामिन ए महत्वपूर्ण पोषक पदार्थ है।  विटामिन ए की कमी से त्वचा रूखी, नाजुक और झुर्रियों से ग्रस्त हो जाती है।  दूसरी ओर, अत्यधिक विटामिन ए के सेवन से गंभीर विषाक्तता हो सकती है इसलिए इसके अनवांछित  उपयोग से बचना चाहिए।

 विटामिन सी और ई, और बीटा-कैरोटीन को एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है जो मुक्त-कणों (फ्री -रेडिकल्स) को कम करते हैं।  मुक्त-कणों  के परिणामस्वरूप त्वचा का समय से पूर्व पतन होने लगता है जिसके फलस्वरूप बढ़ती उम्र का प्रभाव हम पर समय से पहले दिखाई देने लगता है l हालांकि, जबकि मुक्त-कण और एंटी-ऑक्सीडेंट की नुकसानदायक भूमिका  हमारी त्वचा के लिए ही नहीं बल्कि हमारे समस्त शरीर को नुक्सान पहुंचाने में प्रमुख रूप से एक खलनायक का किरदार निभाते है, परन्तु जो प्रयोग विटामिन्स और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों पर हुए हैं अभी तक वह भी इनका त्वचा पर सकारात्मक परिणाम पूरी तरह से साबित करने में सफल नहीं हुए है।

 जैसा कि पहले भी वर्णित किया जा चूका है कि अत्यधिकता किसी भी स्वरुप में हो हमेशा हानिकारक सिद्ध होती है इसलिए अत्यधिक खुराक भी कम खुराक की तरह ही हानिकारक हो सकती है, इसलिए सही दैनिक भत्ते का सही मात्रा में कठोर अनुशाशन का पालन करते हुए इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। 

त्वचा पर बाहरी रूप से इस्तेमाल किये जा सकने वाले पदार्थ 

          

 भोजन के साथ इस्तेमाल किये जाने वाले पोषक पदार्थों के साथ - साथ यदि त्वचा पर बाहरी रूप से इस्तेमाल किये जाने वाले पदार्थों का समावेश भी कर लिया जाए तो वह सोने पर सुहागे का काम अवशय करेगा इसमें कम से कम एसपीएफ़ 30 की सनस्क्रीन क्रीम (जिसमे त्वचा को निखारने वाले गुण भी शामिल हों) मॉइस्चराइज़र (विशेष रूप से  त्वचा को हल्का करने वाले तत्वों सहित) और उम्र का प्रभाव काम करने वाले (एंटी-एजिंग ) लोशन और क्रीम शामिल हैं ।   यद्यपि त्वचा पर बाहर से इस्तेमाल किये जाने वाले पोषक और त्वचा रक्षक पदार्थों की तुलना में, मौखिक रूप से पूरक आहार के प्रभाव धीमे परन्तु वास्तव में अधिक सूक्ष्म, असरदार और चिरस्थाई होते हैं।  इसलिए हम  उपभोक्ताओं को अपनी उम्मीदों को काबू में रखते हुए अपने सब्र का इम्तिहान देना होगा क्योंकि इन सबका सामूहिक निष्कर्ष एक या दो सप्ताह में प्राप्त नहीं किया सकता है । जैसा कि कहा गया है, “ सहज पके सो मीठा होये या सब्र का फल हमेशा मीठा होता है।” इसलिए इस सबको करते हुए धैर्य बनाये रखना ही सफलता की कुंजी है।

             

 इसलिए हम त्वचा के स्वास्थ्य और मनमाफिक निखार के लिए एक  समग्र अथवा बृहत् दृष्टिकोण अपनाने की सलाह देते हैं, जिसको सफल बनाने के लिए इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है - 

 * सब तरह की विभिन्नता से परिपूर्ण  खाद्य पदार्थों  के साथ-साथ विटामिन, खनिज और सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त एक स्वस्थ संतुलित आहार का सेवन ।

  * अपना मूड हमेशा खुश और सकारात्मक रखें।  यह अच्छी तरह से प्रलेखित है कि तनावग्रस्त लोगों की  त्वचा पर मुहांसे और एक्जिमा जैसे रोग अधिक प्रभाव दिखाते हैं। 

 * अगर आप धूम्रपान करते हैं तो इसका पूर्ण-रूपेण परित्याग कर दें।  धुआं मुक्त कणों का कारण तो बनता ही है, साथ ही साथ यह त्वचा के सूक्ष्म परिसंचरण को नुकसान भी पहुंचाता है और दांतों के दाग, मलिनिकरण और मौखिक दुर्गन्ध का भी मुख्य कारण बनने के साथ अन्य कई प्रक्रार के असाधय रोगों (जिसमे कैंसर, तपेदिक आदि शामिल हैं) का भी जिम्मेदार है।

              

 * इसलिए तेज़ धूप में जाने से बचें और यदि फिर भी जाना पड़े तो एक अच्छे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।

                                                     - कुलविंदर सिंह 

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